कुरुक्षेत्र देवस्थानम सम्मेलन में उपराष्ट्रपति ने गीता को जीवन और चरित्र निर्माण का सार्वभौमिक ग्रंथ बताया

Mon 01-Dec-2025,11:41 AM IST +05:30

ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

Follow Us

कुरुक्षेत्र देवस्थानम सम्मेलन में उपराष्ट्रपति ने गीता को जीवन और चरित्र निर्माण का सार्वभौमिक ग्रंथ बताया
  • अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन में उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने भगवद् गीता को चरित्र निर्माण, साहस और जीवन मार्गदर्शन के लिए सार्वभौमिक ग्रंथ बताया।

  • उन्होंने गीता महोत्सव को वैश्विक सांस्कृतिक उत्सव के रूप में विकसित करने हेतु हरियाणा सरकार के प्रयासों की प्रशंसा व राष्ट्रीय मूल्यों को सुदृढ़ करने पर जोर दिया।

Haryana / Kurukshetra :

हरियाणा/ हरियाणा के कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 के दौरान कल एक विशेष आध्यात्मिक छटा देखने को मिली, जब भारत के उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेकर धर्म, जीवन मूल्यों और राष्ट्रीय चेतना पर अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। सम्मेलन में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र की पावन धरती पर उपस्थित होना उनके लिए अत्यंत गौरव और भावनात्मक क्षण है, क्योंकि यही वह स्थान है जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद् गीता का अमृत ज्ञान प्रदान किया था। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र सदैव यह स्मरण कराता है कि चाहे अधर्म कितना ही प्रभावशाली क्यों न दिखाई दे, अंततः धर्म की ही विजय होती है।

उपराष्ट्रपति ने भगवद् गीता को केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र के लिए एक सार्वभौमिक मार्गदर्शक बताया। उन्होंने कहा कि गीता का संदेश – धर्म के मार्ग पर अडिग रहते हुए कर्म करते रहने का – हर व्यक्ति को उद्देश्यपूर्ण, साहसी और संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देता है। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं के लिए चरित्र निर्माण को सर्वोच्च बताया और जोर दिया कि चरित्र किसी भी भौतिक सफलता से कहीं अधिक मूल्यवान है।

उन्होंने कहा कि आज परिवर्तनशील युग में गीता की प्रासंगिकता और बढ़ गई है, क्योंकि यह व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को शांति, सद्भाव, आत्मानुशासन और सत्यनिष्ठा की ओर निर्देशित करती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि गीता का संदेश आने वाली पीढ़ियों को नैतिक शक्ति और प्रबुद्ध चेतना प्रदान करता रहेगा।

कार्यक्रम की प्रगति की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में गीता जयंती एक राज्य स्तरीय आयोजन से आगे बढ़कर एक वैश्विक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्सव बन चुकी है। उन्होंने हरियाणा सरकार और मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी को महोत्सव को विश्व पटल पर स्थापित करने और सांस्कृतिक चेतना को नई ऊंचाई देने के लिए बधाई दी। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि महोत्सव भगवान श्री कृष्ण के दिव्य गुणों, गीता की शिक्षाओं और सनातन धर्म की विरासत को सरल और प्रेरक रूप में जन-जन तक पहुंचा रहा है।

उन्होंने कहा कि यह मंच उन मूल्यों धर्म, कर्तव्य, आत्मानुशासन और उत्कृष्टता को सशक्त करता है जिन पर आज के आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत 2047 की दृष्टि आधारित है। सम्मेलन में पूरे भारत से आए संतों, विद्वानों, कलाकारों, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों और सांस्कृतिक विचारकों की भागीदारी को उपराष्ट्रपति ने विशेष रूप से प्रेरणादायक बताया।

अपने संबोधन के अंत में उन्होंने सभी से आह्वान किया कि वे गीता के शाश्वत संदेश को अपनाकर धर्मानुसार कर्म करें, ज्ञान को साधें, शांति को आत्मसात करें और मानवता के कल्याण में सक्रिय योगदान दें। कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी, स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। इससे पहले उपराष्ट्रपति ने कुरुक्षेत्र में मां भद्रकाली शक्तिपीठ में दर्शन कर पूजा-अर्चना भी की।